मास्को। रूस ने कैंसर वैक्सीन बनाने की घोषणा की है, जिसके बाद से दुनियाभर के कैंसर मरीजों में उम्मीद जगी है। कैंसर का इलाज महंगा होता है। साथ ही वैक्सीन नहीं मिलने से कई लोगों की मौत हो जाती है।
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिचर्स सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई काप्रिन ने कहा कि रूस की इस कैंसर वैक्सीन को अलग-अलग तरह के मरीजों के लिए अलग-अलग बनाया जाएगा। हालांकि रूस के सभी नागरिकों के लिए यह मुफ्त में उपलब्ध होगी। इस विशेषता की वजह से इस वैक्सीन की कीमत करीब 2.5 लाख रुपए होगी।
हालांकि दुनिया के बाकी देशों को यह वैक्सीन कब तक मिलेगी, इस बारे में काप्रिन ने कोई जानकारी नहीं दी। 2025 में कैंसर की वैक्सीन लांच होगी। रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक उसने कैंसर के खिलाफ एक टीका बना लिया है, जिसे 2025 के शुरू में रूस के कैंसर रोगियों को मुफ्त में लगाया जाएगा।
रूस की समाचार एजेंसी तास के मुताबिक रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिचर्स सेंटर के जनरल डायरेक्टर एंड्री काप्रिन ने रूसी रेडियो चैनल पर इस वैक्सीन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह वैक्सीन प्री-क्लिनिकल ट्रायल में कारगर साबित हुई है। इससे ट्यूमर का विकास धीमा होने के साथ उसमें 80 फीसदी तक कमी देखी गई। इस वैक्सीन को मरीजों के ट्यूमर सेल्स के डेटा के आधार पर स्पेशल प्रोग्राम के जरिए डिजाइन किया जाता है। वैक्सीन का असर 48 घंटों में होता है।
रूस की फेडरल मेडिकल बायोलॉजिकल एजेंसी की प्रमुख वेरोनिका स्वोर्त्सकोवा ने वैक्सीन के काम करने के तरीके को मेलानोमा (स्किन कैंसर) के जरिए समझाया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले कैंसर के रोगी से कैंसर सेल्स का नमूना लिया जाता है। इसके बाद वैज्ञानिक ट्यूमर के जीन की सीक्वेंसिंग करते हैं। इसके बाद कैंसर सेल्स में बने प्रोटीन को चिह्नित किया जाता है। प्रोटीन की पहचान के बाद पर्सनलाइज्ड एमआरएनए वैक्सीन बनाई जाती है। मरीज को लगाई जाने वाली कैंसर वैक्सीन शरीर को टी सेल्स बनाने का निर्देश देती करती है। ये टी सेल्स ट्यूमर पर हमला कर कैंसर को खत्म कर देती हैं। इसके बाद मनुष्य का शरीर ट्यूमर सेल को पहचानने लगता है, जिससे कैंसर दोबारा नहीं लौटता है।
इस संबंध में अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के कैंसर एक्सपर्ट एलियास सयूर के अनुसार इस टेक्निक से बन रही वैक्सीन ब्रैन कैंसर के लिए 48 घंटों से भी कम समय में असर दिखाने लगी थी।
एक और वैक्सीन का एलान करेगा रूस
रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजिकल सेंटर की वेबसाइट के अनुसार वहां के वैज्ञानिक कैंसर से लड़ने के लिए दो तरह की खोज में जुटे हुए थे। इनमें पहली एमआरएनए वैक्सीन के अलावा दूसरी ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी है। इस थेरेपी के अंतर्गत प्रयोगशाला में मॉडिफाई इंसान के वायरस से कैंसर सेल्स पर निशाना साधते हुए संक्रमित कर दिया जाता है। इसकी वजह से वायरस कैंसर सेल्स में अपने आप मल्टीप्लाय करते हैं। इसका नतीजा होता है कि कैंसर सेल नष्ट हो जाती है। यानी इस थेरेपी में ट्यूमर को सीधे तौर पर नष्ट करने की जगह इम्युनिटी को सक्रिय करके कैंसर सेल्स नष्ट की जाती हैं। इस थेरेपी के लिए बनाई जा रही वैक्सीन का नाम एंटेरोमिक्स है। इस वैक्सीन का रिसर्च साइकिल पूरा हो चुका है। जल्द ही इसकी घोषणा हो सकती है।