लखनऊ, 23 दिसम्बर 2024
हर गुरुवार को प्रदेश के सभी उपकेन्द्र आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर प्रसव पूर्व देखभाल (एएनसी) क्लीनिक का आयोजन होगा। इस सम्बन्ध में महानिदेशक परिवार कल्याण डा. सुषमा सिंह ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र लिख कर निर्देश जारी किये हैं।
पत्र के अनुसार सभी उपकेन्द्र जहां एएनएम् बैठती हैं वहां एएनएम के सहयोग से और जहां सामुदायिक स्वस्थ्य अधिकारी (सीएचओ ) बैठते हैं वहां उनके सहयोग से सुबह नौ से शाम चार बजे तक एएनसी क्लीनिक लगेगी|
एएनसी क्लिनिक पर मिलेंगी यह सुविधाएँ –
गर्भावस्था का पंजीकरण एवं जांचें, आयरन, फोलिक एसिड(आईएफ़ए) एवं कैल्शियम, एल्बेंडाजोल की गोलियों का वितरण और सेवन का तरीका तथा लाभ के बारे में बताया जायेगा | इसके साथ ही टिटनेस तथा व्यस्क डिप्थीरिया के टीकों के लाभ के बारे में बताया जायेगा तथा लगाये भी जायेंगे |
शारीरिक जांचें जैसे– पेशाब की जांच, हीमोग्लोबिन की जांच, एचाईवी की जांच, हिपेटाइटिस बी एवं सिफलिस की जांचें, ब्लड शुगर की जांच, गर्भ में शिशु की स्थिति, उसकी वृद्धि एवं दिल की धड़कन की जांच |
इसके साथ ही उच्च जोखिम की गर्भावस्था की पहचान कर उच्च स्वास्थ्य केन्द्रों पर संदर्भित किया जायेगा तथा उच्च स्वास्थ्य इकाई पर जाने तक टेली कंसल्टेंसी की सुविधा दी जाएगी |
इसके अलावा गर्भवती को दवाओं के सेवन के प्रतिकूल प्रभाव, कम से कम चार प्रसव पूर्व जांचें, गर्भावस्था एवं प्रसवोत्तर देखभाल, पौष्टिक आहार एवं आराम के लाभ, खतरे के लक्षणों की पहचान, संस्थागत प्रसव के लाभ और घर पर प्रसव के नुकसान, घरेलू हिंसा एवं उसका बच्चे पर प्रभाव, प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, मानसिक स्वास्थ्य, प्रसव पूर्व तैयारी जिसमें प्रसव का स्थान, प्रसव सहायक की पहचान, घर पर बच्चों और पशुओं की देखभाल के लिए व्यक्ति की पहचान, परिवहन की वैकल्पिक व्यवस्था आदि के बारे में बताया जायेगा | गर्भावस्था के दौरान मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहे तो इसका सकारात्मक प्रभाव बच्चे पर पड़ता है इसके बारे में भी परामर्श दिया जायेगा | गर्भवती को शीघ्र एवं छह माह तक केवल स्तनपान कराने, नवजात शिशु की देखभाल एवं टीकाकरण तथा परिवार नियोजन सम्बन्धी भी सलाह दी जायेगी |
एसोसिएट प्रोफेसर डा. मालविका मिश्रा, महिला एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, डा. राम मनोहर लोहिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज बताती हैं कि गर्भ धारण करते ही जितनी जल्दी महिला का पंजीकरण हो जाये और वह जितनी जल्दी वह स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपनी जांचें करा ले तो काफी हद तक गर्भवती की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का प्रबन्धन किया जा सकता है और किसी भी अनहोनी को रोका जा सकता है |
क्या कहते हैं आंकड़े ?
मार्च 2022 में प्रकाशित एसआरएस(सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे) के आंकड़ों के अनुसार देश की मातृ मृत्यु दर 103 है जबकि प्रदेश की मातृ मृत्यु दर 167 है |