लोकसभा चुनाव की तिथि की घोषणा होने के पहले लोगों को ऐसा लगता रहा कि बाहुबली की छवि के चलते गर भाजपा धनंजय सिंह से दूरी बना भी लेगी तो किसी सहयोगी दल को यह सीट देकर उसके माध्यम से धनंजय सिंह को समर्थन दे सकती है। चुनाव की तिथियों की घोषणा होते ही स्थितियां बदल गईं। कभी महाराष्ट्र में गृह मंत्री रहे और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे कृपा शंकर सिंह को टिकट मिल गया। इससे आहत धनंजय सिंह सिंह ने ‘जीतेगा जौनपुर, जीतेंगे हम’ कैम्पेन चलाया। धनंजय सर्वजन सुलभ नेता हैं। आमलोगों में उनकी खासी पैठ है। इसके चलते सोशल मीडिया पर इस कैम्पेन को भरपूर प्यार मिला। यह चल ही रहा था कि एक पुराने मामले में उन्हें जेल हो गई। लोग इसे भाजपा की नाराज़गी से जोड़ रहे थे। स्थितियां ऐसी बनने लगीं कि धनंजय चुनाव नहीं लड़ पाएंगे लेकिन उनके तेवर हल्के नहीं हुए। धनंजय जेल में ही थे कि उनकी पत्नी श्रीकला को बसपा ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। श्रीकला भी पूरे दमखम के साथ अपने चुनाव प्रचार में लग गईं। इसी दौरान एनआईए की एक जांच रिपोर्ट की चर्चा जोर पकड़ने लगी। इस रिपोर्ट में धनंजय सिंह पर अपराधी लारेंस विश्नोई को हथियार मुहैया कराने के आरोप लगाए गए। यह आरोप काफी गंभीर किस्म के थे और यूपी सरकार ऐसे मामलों को लेकर जितनी सख्त थी, धनंजय सिंह का बड़ा अहित कर सकती थी। धनंजय को जेल से बाहर आए लगभग 10 दिन हो चुके हैं। उनके बाहर आने से चुनाव प्रचार के और जोर पकड़ने की उम्मीद थी लेकिन इसी के साथ टिकट कटने की अफवाहें भी फिजा में तैरने लगीं। इन अफवाहों का उन्होंने बसपा जिला कोआर्डिनेटर घनश्याम खरवार के माध्यम से खंडन कराया था कि अगले दिन खरवार ने ही धनंजय के चुनाव लड़ने से इनकार करने की बात कह उनका टिकट कटने की बात कही। खरवार और धनंजय सिंह इस मामले में आए दिन एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। यह सब चल ही रहा था कि शनिवार 11 मई को उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भगवान राम की प्रतिमा के साथ ‘होईहीं सोई जो राम रुचि राखा’ लिखकर माहौल को सीधे 90 डिग्री पर बदल दिया। अभी कुछ दिन पहले तक जहां बसपा के साथ बुद्धम शरणम् गच्छामि थे, वहीं इसे अब भगवा की शरण में जाने का संकेत माना जाने लगा है। ऐसी चर्चा है कि एक-दो दिन में धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला धनंजय भाजपा के बड़े कद के नेताओं के साथ मंच साझा कर सकती हैं। हालांकि वह भाजपा की दक्षिण भारतीय इकाई से पहले से ही भाजपा की सदस्य थीं। वहीं जल्द ही प्रतापगढ़ में राजा भैया के नेतृत्व में होने वाले क्षत्रिय सम्मेलन में भी उनके शामिल की उम्मीद है जिसमें भाजपा के पक्ष में क्षत्रिय कुनबा इकट्ठा किए जाने की कवायद चल रही हो। हालांकि इन स्थितियों के संकेत मैंने अमित और राजा भैया की मुलाकात के माध्यम से दे दिया था। इन सबको लेकर धनंजय सिंह के समर्थकों में बेचैनी है। ऐसा हुआ तो कल तक भाजपा और कृपा शंकर सिंह को लेकर मुखर रहे धनंजय और उनकी पत्नी भाजपा की वकालत करते दिखेंगे। तभी तो कहा जा रहा है जिस जालिम ने तड़पाया उसी पर हमको प्यार आया।