एक कहावत है ‘जहां-जहां धुआं होता है, वहां-वहां आग होती है’। इसी के चलते बसपा से टिकट कटने के बाद कुछ संकेत मिलने लगे थे कि धनंजय सिंह की सियासत का रुख किधर होगा? राजनीतिक पंडित भी इन्हीं संकेतों को पढ़कर भविष्यवाणी कर रहे थे। इन्हीं संकेत चिह्नों को पढ़कर मैंने भी भविष्य में श्रीकला रेड्डी के भाजपा के कद्दावर नेताओं के साथ मंच साझा करने की संभावना जताई थी।
इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ता दिख रहा है। चर्चा है कि शनिवार शाम दिल्ली में धनंजय सिंह और श्रीकला रेड्डी ने अमित शाह से मुलाकात की। यह मुलाकात डेढ़ घंटे के लगभग चली। इसे बसपा से टिकट कटने के बाद धनंजय सिंह और उनकी पत्नी का अभी तक का सबसे बड़ा राजनीतिक कदम माना जा रहा है। पत्नी का टिकट कटने के बाद धनंजय सिंह ने दावा किया था कि ‘हम जिसे चाहेंगे जौनपुर से वही जीतेगा।’ धनंजय सिंह के दावे, भाजपा के 400 सीटें जीतने के दावे के साथ उनकी अमित शाह से मुलाकात कुछ और समीकरण बनाने लगे हैं।
माना जा रहा है कि यह मुलाकात एक तो यह संदेश देगी कि भाजपा ठाकुरों की हितैषी है। इसकी भरपाई पूर्व के दो चरणों में हुए चुनाव के दौरान ठाकुरों की नाराज़गी दूर करने का संदेश देगी। दूसरी बात जौनपुर में प्रत्याशी के तौर पर धनंजय सिंह को सबसे बड़ा जनाधार वाला नेता माना जाता है। उन्होंने अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा दिया है। वह स्वयं चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन नमामि गंगे परियोजना के इंजीनियर के केस में उन्हें सात साल की सजा हो गई है। इसलिए उनके चुनाव लड़ने पर संकट है। चुनावी मैदान से बाहर होने के बाद भी अपनी सियासी जमीन उर्वर बनाए रखने के लिए वह लगातार सक्रिय हैं। वह हर किसी के सुख-दुख में सबसे पहले पहुंचने वाले नेता माने जाते हैं। हर जाति, धर्म और वर्ग में उनके लिए हर समय साथ खड़े रहने वाले लोग मिलेंगे। अमित शाह से मुलाकात को उनकी अपनी सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। श्रीकला रेड्डी के भाजपा में जाने से यह वोट भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह को ही जाएगा। इससे जौनपुर लोकसभा सीट से राजनीतिक गणित बदल सकता है।
धनंजय सिंह इस समय कई मुकदमे झेल रहे हैं। वह कानूनी पचड़ों से दूर रहना चाहते हैं। अमित शाह से मुलाकात को इस दिशा में भी जोड़कर देखा जा रहा है। अमित शाह से मुलाकात के साथ ही धनंजय सिंह के कृपा शंकर सिंह के पक्ष में प्रचार करने की बात को और बल मिलने लगा है। इस संभावना के तार कर्नाटक में अमित शाह और राजा भैया की मुलाकात के समय ही जुड़ने लगे थे। धनंजय और राजा भैया के माध्यम से भाजपा यह संदेश देने में सफल होगी कि पार्टी इस वर्ग के साथ है।
आपको बता दें कि जौनपुर में भाजपा से कृपा शंकर सिंह और सपा से बाबू सिंह कुशवाहा मैदान में हैं। माना जा रहा है कि बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट देकर सपा जातीय आधार पर भाजपा के मतदाताओं में सेंध लगा रही है। वहीं बसपा ने धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को अपना प्रत्याशी बनाया था। बाद में उनका टिकट काट कर निवर्तमान सांसद श्याम सिंह यादव को टिकट दे दिया। इसके चलते श्री कला रेड्डी चुनावी रेस से बाहर हो गईं हैं।
इसके अलावा सपा के पूर्व विधायक ओम प्रकाश दूबे बाबा ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र भेजकर सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राजनीतिक सुचिता देखते हुए पार्टी से इस्तीफा देने की बात कही है। हालांकि इसी के साथ उनके भी भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गईं हैं। यदि वह भाजपा की सदस्यता लेते हैं तो इसके माध्यम से पार्टी अपने कोर वोटरों को पूरी तरह से साधने का संकेत देने का प्रयास करेगी। इसे भाजपा के 400 के गणित के लिए समीकरण साधने की कोशिश के रूप में देखा जाएगा।