गोरखपुर, 15 दिसम्बर 2024
जिले मे ग्यारह नये न्यू बार्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) खोलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इससे नवजात शिशुओं की तबीयत बिगड़ने पर उनके इलाज में स्थानीय स्तर पर ही त्वरित हस्तक्षेप हो सकेगा। शीघ्र इलाज से दूरस्थ अस्पतालों में ले जाने वाला समय बचेगा, जिससे नवजात शिशु के जीवन के जोखिम को कम किया जा सकेगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने उपकरणों की खरीद पूरी कर ली है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने संबंधित अधीक्षक को प्रसव कक्ष के पास एनबीएसयू के लिए स्थान चिन्हित कर तैयारी करने को कहा है।
सीएमओ ने बताया कि यह सभी एनबीएसयू ब्लॉक स्तर के सीएचसी पर खोले जाएंगे। वर्तमान समय में बेलघाट, चौरीचौरा, जंगल कौड़िया, बांसगांव, कैम्पियरगंज, सहजनवां और पिपराईच सीएचसी पर एनबीएसयू कार्य कर रहे हैं। बड़हलगंज सीएचसी पर भी एनबीएसयू स्थापित है, जिसे शुरू करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इनके अलावा अन्य ग्यारह ब्लॉक में नये एनबीएसयू बनाये जाएंगे। इन एनबीएसयू वाले ब्लॉक क्षेत्र के अस्पतालों में जन्म लेने वाले नवजात शिशु या फिर डिस्चार्ज होकर घर जा चुके नवजात शिशु का स्वास्थ्य खराब होने पर 102 नंबर एम्बुलेंस की मदद से उन्हें एनबीएसयू तक लाया जा सकेगा। इस तरह सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए नवजात को जिला महिला अस्पताल और बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
डॉ दूबे ने बताया कि नये एनबीएसयू के लिए स्थान चिन्हित करने के बाद उपकरणों को स्थापित किया जाएगा। राज्य स्तर से प्रशिक्षित स्टॉफ नर्स मिलते ही उन्हें सक्रिय कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जन्म से लेकर 28 दिन तक बच्चे की अवस्था को नवजात कहा जाता है और बीमारियों व संक्रमण की दृष्टि से यह अवस्था बेहद संवेदनशील होती है । इस अवस्था में अगर बच्चे में किसी भी प्रकार की बीमारी हो और त्वरित चिकित्सा मिल जाए तो उसके जीवन की रक्षा हो जाती है । इससे शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है । इस कार्य में एनबीएसयू अहम भूमिका निभा रहे हैं।
सीएमओ ने बताया कि जिले में वर्तमान समय में संचालित एनबीएसयू पर प्रशिक्षित स्टॉफ नर्स तैनात की गयी हैं जो अलग-अलग शिफ्ट में बीमार नवजात की देखभाल करती हैं । समय-समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक भी इन नवजात शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी करते हैं । अगर एनबीएसयू से कोई बच्चा रेफर किया जा रहा है तो उसके अभिभावकों को 102 नम्बर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराने का भी प्रावधान है। नवजात शिशु में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर दिक्कत होने पर जिला महिला अस्पताल में बने विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में रेफर किया जाता है । अति गंभीर स्वास्थ्य संकट की स्थिति में चिकित्सक द्वारा नवजात शिशु को बीआरडी मेडिकल कॉलेज स्थित नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई (एनआईसीयू) में रेफर किया जाता है।
534 नवजात हुए भर्ती
सीएमओ ने बताया कि इस वर्ष अप्रैल से लेकर नवम्बर माह तक जिले के सात एनबीएसयू पर कुल 534 नवजात शिशुओं को भर्ती कर उनका इलाज किया गया। इनमें सर्वाधिक नवजात शिशु पिपराईच सीएचसी पर भर्ती किये गये। उन्होंने कहा कि नवजात शिशु में स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दिक्कत होने पर सीधे बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाने की आवश्यकता नहीं है। बेहतर है कि पहले नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर एम्बुलेंस की सहायता से पहुंचे। शीघ्र उपचार शुरू होने से नवजात के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार होने की संभावना होती है। सिर्फ उन्हीं बच्चों को एसएनसीयू या एनआईसीयू भेजा जाता है जिन्हें चिकित्सक के परामर्श के अनुसार वहां भेजना आवश्यक है।