घने धुंध, कोहरे और ठंड के मौसम में आप जब बाहर से आएं और कुछ खाने के लिए बैठें, अचानक ऐसा लगे कि कान में कुछ क्षण के लिए एक पतली सिटी जैसी आवाज आ रही है। आपका कान बंद हो गया है या सुनने की शक्ति थोड़ी कम हो गई है। अपनी भोजपुरी भाषा में ऐसी स्थिति को कान का जब्त होना कहते हैं। यह समस्या हर उम्र के स्त्री और पुरुष में सामान्य रूप से होती है। यह समस्या अस्थाई होती है और कुछ समय बाद स्वयं से खत्म हो जाती है। वहीं कुछ लोगों में ऐसी स्थिति लम्बे समय तक बनी रहती है।
इस समस्या को समझने के लिए थोड़ा सामान्य भौतिक सिद्धांत को समझना होगा जिसे टेम्परेचर इक्विलीब्रियम (तापमान संतुलन )कहते हैं। जब बिना कान ढके हम बाहर रहते हैं जहा का तापमान कम होता है, उसके बाद जब घर के अंदर या गरम वातावरण में आते हैं तो तुरंत ही शरीर की ठंडी हवा और गरम हवा आपस में बदलाव करने लगते हैं। इसके तहत ताप और दाब समय बिंदु बनाते हैं जिसके कारण कान बंद हो जाता है। ऐसा कुछ सेकंड से कुछ मिनट तक होता है। कई बार यह ईयर ड्रम को स्थाई क्षति पंहुचा देता है जिससे कान के अंदरूनी हिस्से में चोट बन जाती है। इसका उपचार करने के लिए चिकित्सकों को दवा का उपयोग करना पड़ता है। इस समस्या का एक कारण पुरानी साइनस की समस्या भी होती है। ठंड के मौसम में साइनस बढ़ जाता है।
इसका उपचार या बचाव के लिए ठंड में जब भी बाहर जाएं तो कान ढक कर जायें। बाहर से आने के बाद तुरंत अलाव के आगे न बैठें। यदि पुराना साइनस हो तो तुरंत इसका इलाज करायें। यदि कान मे वैक्स या मोम इकट्ठा हो तो उसे सावधानीपूर्वक साफ करें। या चिकित्सक से साफ करायें। कुछ दवाएं ड्राप की तरह आती हैं, उसका उपयोग चिकित्सक की सलाह पर कर सकते है।
डॉ हर्ष विक्रम सिंह
स्पेशल करेस्पांडेंट