जौनपुर। मछलीशहर की विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने मंगलवार को विधानसभा सत्र के दौरान पेयजल संकट के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह से सवाल करते हुए कहा कि जनता पानी के लिए परेशान है। सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करने में असफल है। उन्होंने पूछा कि जनता को पर्याप्त हैंडपंप और पेयजल उपलब्ध कराने की क्या योजना बना रही है?
उन्होंने सरकार की इस स्कीम पर सिर्फ 3.50 लाख करोड़ रुपये के बजट पर सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि जितना बड़ा बजट है, उतना ही बड़ा भ्रष्टाचार भी है। उन्होंने कहा कि मंत्री अधिकारी की नहीं सुनते और अधिकारी की कॉन्ट्रैक्टर नहीं सुनते। इसके चलते योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है।
उन्होंने पेयजल की समस्या का समाधान न होने पर सरकार की कार्यशैली पर तीखा प्रहार किया। विधायक ने कहा कि कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद में अमृत पिलाने से क्या फायदा। उनके इस बयान ने सरकार की पेयजल योजनाओं पर सवाल खड़े कर दिए।
डॉ. रागिनी सोनकर ने अपने क्षेत्र में हैंडपंपों की कमी के साथ-साथ पूरे प्रदेश के जल संकट का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। उन्होंने जल जीवन मिशन और अन्य पेयजल योजनाओं के कार्यान्वयन पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत कितने गांव में कार्य पूरे हो चुके हैं, सरकार कितने लोगों को शुद्ध पेयजल सरकार पहुंचा रही है? अगर नहीं तो उसकी समय सीमा क्या है? और कब तक पहुंच पाएगी? 2019 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तो उन्होंने लाल किले से खड़े होकर पूरे देश से वादा किया था कि दिसंबर 2024 तक पूरे देश को जल जीवन मिशन से जोड़ दिया जाएगा। आज उत्तर प्रदेश विधानसभा की असेंबली में दिसंबर 2024 में मैंने प्रश्न खड़ा किया और उसका उत्तर विभाग के पास नहीं है और यह अपने आप में प्रत्यक्ष रूप से सरकार की सिर्फ जुमलेबाजी और झूठे वादे को दिखाता है। जिस समय मैं सदन में आई उस समय पूरे उत्तर प्रदेश का बजट 6,15,000 करोड़ रुपए था और मात्र एक स्कीम का बजट 3,50,000 रुपए करोड़ का है। इसके बावजूद आज धरातल पर एक प्रतिशत भी काम नहीं हो पाया है। यह बहुत शर्मनाक है। साथ ही यह सरकार की संवेदनहीनता को भी जताता है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि जल संकट का शीघ्र समाधान सुनिश्चित किया जाए, ताकि जनता को राहत मिल सके। विधायक के सवालों और आरोपों के जवाब में मंत्री के बयान ने यह स्पष्ट किया कि सरकार योजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर सतर्क है। हालांकि, डॉ. रागिनी सोनकर ने कहा कि जनता को केवल वादों की नहीं, बल्कि वास्तविक समाधान की जरूरत है।