राजीव राय ने एक सेट में किया और नामांकन
चेकलिस्ट दिखाते हुए बोले, पहले सेट का ही नामांकन सही था, फिर भी सुविधा का उपयोग किया
मऊ। समाजवादी पार्टी तथा इंडिया गठबंधन के घोसी लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी राजीव राय ने मंगलवार को कचहरी पहुंच कर एक सेट में और नामांकन दाखिल किया जबकि बीते 10 मई को भी वह एक सेट में नामांकन कर चुके थे।
जानकारी होते ही बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने उनके नामांकन से जुड़े कई सवाल खड़े कर घेरने की कोशिश की। उनका उत्तर देते हुए राजीव राय ने कहा कि हमें पता चला कि सारे लोग चार-चार सेट में नामांकन दाखिल कर रहे हैं। मेरा पहला सेट ही सही था। मुझे चेकलिस्ट भी मिल चुकी थी जिसमें सब कुछ सही। था। फिर भी हमने नामांकन भर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने चार सेट में नामांकन भरने का आब्शन दिया है तो हमने भी सोचा कि भर लें। हालांकि उन्होंने सरकार की भी चुटकी ली। उन्होंने कहा कि सरकार कुछ देती है नहीं, जो मिल रहा है, उसी का उपयोग कर लें।
पत्रकारों ने पूछा कि नया नामांकन के लिए क्या उनकी कोई मजबूरी थी, इस प्रश्न का उन्होंने बड़े ही हल्के अंदाज में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सिर्फ कापी-पेस्ट ही तो करना था। फिर पत्रकारों ने नामांकन रिजेक्ट किये जाने का अंदेशा जताया तो उन्होंने कहा कि हाथ में लिखकर चेकलिस्ट दे दी गई है कि सब कुछ सही है। उन्होंने पत्रकारों को चेकलिस्ट दिखाते हुए कहा कि देख लीजिए, इसमें सब कुछ सही है। इसके बाद क्या बाकी रह गया है।
कुछ पत्रकारों ने गुजरात सहित कुछ अन्य जगहों पर पर्चा खारिज होने के हवाले से भी अंदेशा जताया तो उन्होंने यह कहते हुए उसका विरोध कर दिया कि उन्हें ऐसा नहीं लग रहा है। इस दौरान कुछ पत्रकारों ने उन पर सरकार के खिलाफ हमलावर होने का आरोप लगाया तो उन्होंने कहा कि मेरी शालीनता आपको हमला दिखने लगी है जबकि असंसदीय शब्दों का प्रयोग करने वाला शालीन हो गया है। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा ही हर किसी के प्रश्नों का उत्तर बड़ी ही शालीनता से देता हूं।
वहीं कुछ पत्रकारों ने भी हल्के मूड में कुछ सवाल किए। उन्होंने कहा कि अब राजीव राय नहीं, राजीव तलवार भी मैदान में आ गये हैं तो उन्होंने इसकी हसी उड़ाते हुए कहा कि नाम में क्या रखा है? नाम ही महत्वपूर्ण होता तो नरेन्द्र मोदी रखकर प्रधानमंत्री बन जाता।
पत्रकारों ने पूछा कि ओम प्रकाश राजभर कह रहे हैं कि यदि समाजवादी पार्टी की गाड़ी में पैसा दिख जाए तो उसे छीन लो। इस पर राजीव राय ने कहा कि इन शब्दों के माध्यम ओम प्रकाश राजभर का चाल और चरित्र उजागर हो रहा है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री बनने से पहले राजभर ने मंच से कानून का पालन करने की शपथ ली है। बावजूद इसके ऐसे बयान, उनके शपथ और व्यवहारिक जीवन से मेल नहीं खाते हैं। उन्होंने प्रशासन से ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि एक तो सपा की गाड़ी में कोई पैसा लेकर नहीं चलता है। यदि एक मिनट के लिए इसे सच भी मान लिया जाए तो इस पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी पुलिस की है। इसके माध्यम से राजभर पुलिस को भी भ्रष्ट बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पुलिस से इसका स्वत: संज्ञान लेकर संबंधित धाराओं में कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने पत्रकारों को उदाहरण देकर समझाया कि यदि आप बतौर पत्रकार किसी से कहेंगे कि फला गाड़ी में पैसा है, इसे लूट लो तो तुरंत आप गिरफ्तार हो जाएंगे और आप पर कार्रवाई हो जाएगी। इसलिए इनके ऊपर भी केस होगा चाहिए,। मुख्यमंत्री को भी ऐसे मंत्री को बर्खास्त करना चाहिए। चुनाव आयोग को भी मामले का संज्ञान लेना चाहिए। साथ ही पुलिस अधिकारियों की प्रतिरक्षा में हुई छिनैतियों और डकैतियों की जांच होनी चाहिए। लोगों ने पूछा क्या आप इसकी शिकायत करेंगे तो उन्होंने कहा कि एफआईआर का मतलब है फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट। उन्होंने कहा कि शिकायत उसकी ही की जाती है जिसकी पुलिस को जानकारी नहीं हो, जबकि यह सब चीजें पुलिस की मौजूदगी में कहीं गईं हैं। पुलिस इंस्पेक्टर सामने खड़े थे, बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद था और मंच पर वह बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि कोई दुर्घटना हो जाती है और पुलिस सामने खड़ी हो, तो क्या जब कोई लिखवाएगा तब ही एफआईआर दर्ज होगी या पुलिस स्वत: दर्ज कर लेगी। राजभर के बयानों के हवाले से ही पत्रकारों ने उनके पास एक यादव का पैसा रखे होने की बात कही। इस पर राजीव राय ने राजभर को मनोरंजन का साधन बताया। उन्होंने पत्रकारों से बोलने में इतने लापरवाह लोगों का नाम लेने से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इन बयानों के माध्यम से वह सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर एक प्रश्न किया कि यदि आपका एक पड़ोसी दशकों से लगातार दुःख-सुख में आपके साथ खड़ा रहता है। एक नया आदमी आकर आपके पड़ोसी को उल्टा-सीधा बोलने लगेगा तो आपको गुस्सा आएगा कि नहीं? इसलिए यदि मेरे लिए असंसदीय शब्दों का प्रयोग किया जाएगा। घटिया स्तर की बातें कहीं जाएंगी तो घोसी की जनता को इसकी चोट पहुंचेगी। घोसी के लोगों में इस बात का ग़ुस्सा बहुत है। एक तारीख को इसका जवाब देगी।